15 सितंबर 2016

एक मौका चाहिए

खामोश है दीवार, लब्जों का झरोका चाहिए
खुशबू बिखरने को हवा का एक झोंका चाहिए

काटों में दिखेंगे गुल, नजरिया बस अनोखा चाहिए
दो जिंदगीया जोडने बस एक रेखा चाहिए

हर रात की होगी सुबह, बस बात से होगी सुलह
गुलशन खिलेगा, बीज को बस एक मौका चाहिए

- अनामिक
(०९/०८/२०१६ - ११/०९/२०१६)

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