14 जुलाई 2022

​ऐ चाँद.. रुक जा

ऐ चाँद.. रुक जा और थोडी देर तू
ना छोडकर जा रोशनी की डोर तू
बेरंग अंधेरे आसमाँ का नूर तू
ऐ चाँद.. रुक जा और थोडी देर तू

ज्यादा नही, थोडा सही
बस और चंद पल तो ठहर
जब तक बुलाए ना सहर
तेरी चाँदनी के नूर से सवार लू दिल का नगर

या फिर ठहर कुछ और वक्त
कुछ दिन, महीनें, या बरस
या इक बडी लंबी सदी
या उम्र, सारी जिंदगी
तुझ संग लगेगा इक जनम भी जैसे इक प्यारी घडी

तू वक्त जितना भी रुके, कम ही लगे.. काफी नही
ऐ चाँद.. रुक भी जा हमेशा के लिए.. मत जा कही
रह जा यही

- अनामिक
(२२/०३/२०२२ - १४/०७/२०२२)