22 जून 2022

जरा मैं, तू जरा मिलके

जरा मैं, तू जरा मिलके
करे हम इक नयी शुरुआत
ख्वाबों के नगर में इक सुहाना घर बनाएंगे
                        उमंगो की तरंगों से
                        भरेंगे रंग फिजा में यूँ
भरी पतझड में भी गुलजार सा मंजर बनाएंगे
जरा मैं, तू जरा मिलके सुहाना घर बनाएंगे || मुखडा ||

लबों से कुछ न कहना तू
जरा बस मुस्कुरा देना
सभी बातें तेरे दिल की बखूबी जान लूंगा मैं 
                        निगाहों के झरोखों से 
                        खुशी तेरी पढूंगा मैं
गमों की छींट भी तुझपे कभी गिरने न दूंगा मैं

बिखर जाऊ कभी मैं राह में, तू ही सहारा हो
तू ही मंजधार में मेरे सफीने का किनारा हो

न कुछ मेरा, न तेरा हो
मिले जो भी, हमारा हो
चलेंगे हर कदम संग, जिंदगी सुंदर बनाएंगे 
                        कयामत तक हमारा साथ हो, 
                        तो क्या नही मुमकिन ?
की रेगिस्तान को भी प्रीत का सागर बनाएंगे
जरा मैं, तू जरा मिलके सुहाना घर बनाएंगे || अंतरा ||

- अनामिक
(१३/०८/२०२१ - २२/०६/२०२२) 

15 जून 2022

​भगदौड काफी हो गयी

भगदौड काफी हो गयी.. दिल कह रहा अब, बस हुआ
जो धुंद सुहानी थी फिजा में, बन गयी है अब धुआ

चलकर हजारों मील भी आगे दोराहे हैं नये
दौलत समय की खर्च दी बस एक सपनें के लिए

करती रही लहरें समय की वार, दिल ने सब सहा
बरसों सबर का बांध था मजबूत, पर अब ढह रहा

दिखता रहा आगे जजीरा, नाव बहती ही रही
इतने समंदर तर लिए.. की अब छोर की ख्वाइश नही

मैं इस जनम तक क्या, कयामत तक भी कर लू इंतजार
पर बेकदर इन महफिलों में ठहरने का दिल नही

अब सोचता हूँ, छोड दू तकदीर पे ही फैसलें
वरना न हासिल कर सकू, ऐसी कोई मंजिल नही

- अनामिक
(११-१५/०६/२०२२) 

10 जून 2022

चाँद आखिर चाँद है

है साफ.. पानी सा,
दुआओं सा, इबादत सा ​​
न जिसके रूप में कोई मिलावट
चाँद आखिर चाँद है ! 
                                पूरा कभी, आधा कभी 
                                होंगे, न होंगे दाग भी 
                                फिर भी है बेहद खूबसूरत 
                                चाँद आखिर चाँद है !
साज की, श्रृंगार की,
बाहरी दिखावे की नही है चाँद को कोई जरूरत
चाँद आखिर चाँद है !

माना, कठिन बिलकुल नही, बनना सितारों सा, मगर..
बनना जरूरी भी तो नही, अपना अलगपन छोडकर

गर चाँद भी झिलमिल सितारों की नदी में बह गया
तो चाँद में और बाकियों में फर्क ही क्या रह गया ?

है ये गुजारिश चाँद से,
"बदलाव की जद्दोजहद में
खो न दे अपनी नजाकत"
चाँद आखिर चाँद है !

भीनी सी शीतल चाँदनी ही चाँद की पहचान है
है चाँद सबसे ही जुदा.. उसमें ही उसकी शान है 

क्यों की..
चाँद आखिर चाँद है !

- अनामिक
(०७/०५/२०१९ - १०/०६/२०२२) 

01 जून 2022

पुन्हा गाठ व्हावी

उन्हाच्या मनी सावलीचे ठसे
सावलीच्या मनीही उन्हाचे कवडसे
तरी मौन हळवे हवेतून वाहे
कुणा ना कळे, व्यक्त व्हावे कसे

उन्हाने पुन्हा सावलीला स्मरावे
पुन्हा सावलीने उन्हा साद द्यावी
नभाने करावी निळीशार किमया
उन्हा-सावलीची पुन्हा गाठ व्हावी || धृ ||

किती त्या झळा तप्त भाळी उन्हाच्या
किती गारठा सावलीच्या तळाशी
किती एकटे ते परीघात अपुल्या
अता मात्र जवळीक व्हावी जराशी

जुनी रात्र सरुनी नवी पहाट व्हावी
उन्हा-सावलीची पुन्हा गाठ व्हावी || १ ||

किती लोटले ते हिवाळे, उन्हाळे
किती दाटले भावनांचे उमाळे
किती आर्त गाणी दडवली ऋतूंनी
किती साठले ते नभी मेघ काळे

सुरांना, सरींना खुली वाट व्हावी
उन्हा-सावलीची पुन्हा गाठ व्हावी || २ ||

- अनामिक
(३१/०३/२०२२ - ०१/०६/२०२२)