29 अप्रैल 2022

ये वक्त है, या है नदी ?!

ये वक्त है, या है नदी ?!
किस ओर बहती जा रही ?..
रफ्तार इसकी तेज़ इतनी, है समझ के भी परे
जाने कहाँ ले जा रही ?..
​क्या कुछ बहा ले जा रही
कैसे उभर पाए भला, इक बार जो इसमें गिरे ? 
ये वक्त है, या है नदी ?!                            || धृ ||

चंचल पलों की रेत
मुठ्ठी से फिसलती जा रही
पलखें झपकते ही यहाँ
सदियाँ बदलती जा रही
ये वक्त क्यों माने न मद्धम जिंदगी के दायरें ? 
ये वक्त है, या है नदी ?!                            || १ ||

तैरे भला तो किस दिशा ?
ढूँढे जज़ीरा कौनसा ?
इस पार, या उस पार का, थामे किनारा कौनसा ?
सीखे कहाँ मंझधार में से लौटने के पैंतरें ?
ये वक्त है, या है नदी ?!                            || २ ||

चलते रहे बरसों मुसाफिर जिंदगी की रहगुज़र
पर खींच ले भीतर उन्हें जब वक्त का गहरा भवर
सीधे सयाने शख्स भी बन जाते हैं तब बावरे
ये वक्त है, या है नदी ?!                            || ३ ||

- अनामिक
(२३/०३/२०२२ - २९/०४/२०२२)

17 अप्रैल 2022

शुरुआत

ये वक्त के हैं फासलें.. 
या फासलों का वक्त है ?! 
पर फासलों से क्या कभी हो जाते कम जज़बात हैं ?! 

जब मुस्कुराती थी सहर 
खिलती चहकती सांझ थी 
उन यादों में गुम आज भी इक चाँदनी की रात है 

आए गए सावन कई 
बैसाख भी तो कम नही 
इक धूप की राहों में मुद्दत से रुकी बरसात है 

तकदीर के ही पैंतरें 
तकदीर के ही फैसलें 
कठपुतलियों के खेल में क्या जीत, और क्या मात है ?! 

इस ओर से निकली सदा 
उस छोर पहुँचेगी जरूर
कब, कैसे आए लौटकर.. संजोग की ही बात है 

उस मोड आकर थम गयी थी 
इक सुरीली दासताँ 
जिस मोड पर ऐसा लगा था, हाँ यही शुरुआत है 

- अनामिक 
(९-१४/०२/२०२२, १७/०४/२०२२) 

15 अप्रैल 2022

आसान ही क्या है भला ?!

मक्सद बिना जिंदा रहे, वो जान ही क्या है भला ?!
जो चैन से सोने दे, वो अरमान ही क्या है भला ?!

क्यों फिक्र है, की कोशिशों का फायदा कुछ हो, न हो ?!
इक बार करके देख ले.. नुकसान ही क्या है भला ?!

जन्नत तलक जो ले चले, वो राह मुश्किल है बडी
पर जिंदगी की दौड में आसान ही क्या है भला ?!

यूँ ही न किस्मत से खुलेंगी आसमाँ की खिडकियाँ
घायल न कर दे पंख जो, वो उडान ही क्या है भला ?!

जब गम चखो, तो ही खुशी का स्वाद चलता है पता
अश्कों बिना खिल जाए, वो मुस्कान ही क्या है भला ?!

तूफान आते हैं टटोलने कश्तियों का हौसला
लहरों से माने हार, वो इन्सान ही क्या है भला ?!

पूरी करे 'वो' सब मुरादें, पहले शिद्दत तो दिखा
बस मन्नतों से माने, वो भगवान ही क्या है भला ?!

- अनामिक