28 अक्तूबर 2016

अचानक ही नही होता

गज़ल का जनम कागज़ पर अचानक ही नही होता 
भला इन्सान यूँ शायर अचानक ही नही होता 

गिरे जब एक चिंगारी, कई पत्तें सुलगते हैं 
धुआँ खामोश जंगल भर अचानक ही नही होता 

न जाने मुश्किलें कितनी नदी है पार कर आती 
खुशी से चूर तब सागर अचानक ही नही होता 

सितारें जल रहे हैं चाँद की ख्वाइश में सदियों से 
उजागर रात में अंबर अचानक ही नही होता 

मोहब्बत है नशा ज़ालिम, ज़रा धीमे ही चढती है 
असर इसका भले दिल पर अचानक ही नही होता 

- अनामिक 
(२३/०९/२०१६ - २८/१०/२०१६)

22 अक्तूबर 2016

ख्वाब ख्वाब

अभी आँख लगने वाली थी,
की तेरे ख्वाबों के पंछी
आ भी गए सताने को
      तुझे भी कहा नींद है वहा
      इसी लिए भेजा है इनको
      दिल का हाल जताने को

ये भी कोई समय है भला ?
नींद सुकूँ की छोड-छाडकर
ख्वाब ख्वाब हम खेल रहे हैं
      तू इक सपना भेज नजर से
      इधर पकड लू मैं पलखों में
      ख्वाब हर तरफ फैल रहे हैं

ख्वाब रसीला.. ख्वाब शबनमी..
नटखट.. चंचल.. ख्वाब रेशमी..
ख्वाब नासमझ.. ख्वाब बावरा..
      ख्वाब गुदगुदाता.. शरारती..
      ख्वाब मुस्कुराता.. जज़बाती..
      ख्वाब महकता.. ख्वाब सुनहरा..

इतने सारे ख्वाब निराले
भला कहा से लाती है तू ?
इन्हे भेजना अब बस भी कर
      कल के लिए बचाकर रख कुछ
      बाढ आ गयी है ख्वाबों की
      ख्वाब ख्वाब ही हैं अब घर भर

- अनामिक
(२२/१०/२०१६)

19 अक्तूबर 2016

मैं गौर भी करता नही

यूँ ही किसी के गाँव की मैं सैर भी करता नही
पर ठान लू, मंजिल वही, तो देर भी करता नही 

मैं छेडता हूँ बात खुद तुझसे, समझ खुशकिस्मती
वरना किसी भी गैर पे मैं गौर भी करता नही 

हसके नजरअंदाज तेरी सब करू गुस्ताखियाँ
वरना किसी की गलतियों की खैर भी करता नही 

फुरसत मिले तो पढ कभी तुझ पे रची नज्में सभी
यूँ ही किसी पे पेश मैं इक शेर भी करता नही 

कुछ बात है दिल में, तभी पैगाम दोस्ती का लिखा
वरना किसी अंजान से मैं बैर भी करता नही 

- अनामिक
(१९/१०/२०१६) 

18 अक्तूबर 2016

कत्ल

वो भी क्या दिन था.. बडा अजब.. यादगार था 
हुआ छुरी-बंदूक बिना ही दिल पे वार था 

समझ न आया, घायल किस हथियार ने किया 
शायद इक सूरत, हसी, अदा का शिकार था 

बचाव में मैं ढाल उठाने से पहले ही 
तीर नजर का इन आँखों के आरपार था 

मुझे इल्म था, कत्ल मेरा होनेवाला है 
मगर पसंद के हाथों मरने का खुमार था 

उसे देख जी भर सुकून से मर भी जाता 
धडकन अटकी थी, पर तब कातिल फरार था 

हक्काबक्का रह गयी भरी महफिल सुनके 
मरके भी वही नाम लब पे बारबार था 

सोचा, आखिर अब तो बंद कर ही लू आँखें 
पर उसका ही सपना पलखों पे सवार था 

- अनामिक 
(१५-१७/१०/२०१६) 

13 अक्तूबर 2016

मखमली भास

अघटित आज घडले, दिवस खास होता
जिथे थांबला दोन क्षण श्वास होता 
मला पाहिले आज वळुनी तिनेही 
अहा, मखमली तो किती भास होता ॥ धृ ॥ 

कटाक्षात होता गुलाबी इशारा 
कसा रोमरोमात उठला शहारा 
मनी नाचला मोर, फुलला पिसारा 
नजर ती जणू रेशमी फास होता 
अहा, मखमली तो किती भास होता ॥ १ ॥ 

दिसे तेच स्वप्नी, वसे या मनी जे 
खरे मानले, भासले त्या क्षणी जे 
निळेशार मृगजळ सुन्या अंगणी जे 
अता तेच मिळवायचा ध्यास होता 
अहा, मखमली तो किती भास होता ॥ २ ॥ 

निथळलो मधुर गैरसमजात थोडा 
दिला कल्पनांचा पिटाळून घोडा 
तसा सुज्ञ, झालो जरा आज वेडा 
उद्या वास्तवाचाच सहवास होता 
अहा, मखमली तो किती भास होता ॥ ३ ॥ 

- अनामिक 
(१३/०९/२०१६ - १३/१०/२०१६) 

12 अक्तूबर 2016

हश्र क्या होगा

यूँ अपनी सादगी से ही वो दिल पे घाव करते हैं
उतर आए अगर सिंगार पे, तो हश्र क्या होगा ?

करे जब बात वो, खुशबू हवाओं में बिखरती है
तो सोचो, साँस में उनकी महकता इत्र क्या होगा ?

बँधी जुल्फों की लहरों से ही दिल में बाढ आती है
अगर सैलाब उनका खुल गया, तो कहर क्या होगा ?

दुआ में माँगता हूँ सिर्फ उनका चंद पलों का साथ
मिले जो उम्र की सोहबत, खुदा का शुक्र क्या होगा ?

गजब वो दिख रहे हैं आज, दिल की बात कहने दो
रुका हूँ मुद्दतों से, और मुझसे सब्र क्या होगा ?

- अनामिक
(०७,०८/१०/२०१६)

01 अक्तूबर 2016

छोटी छोटी बातें

भले दिखे ना तू अप्सरा जितनी खूबसूरत
चमक-धमक, सिंगार की नही तुझे जरूरत
बडी खासियत, बहोत अनोखे गुण कोई ना होते भी
दिल को छू जाती हैं तेरी छोटी छोटी बातें भी 

किसी राज सी गहरी कंचों जैसी आँखें
पलखों पे वो भीनी सी काजल की रेखा
नाजुक उंगली में इक सबसे अलग अंगूठी
माथे पे वो हलका सा कुमकुम का टीका
क्लिप से कैद कर रखा वो जुल्फों का सैलाब
जूही की कलियों जैसे वो नन्हे से लब 

रहन-सहन में बसी सादगी 
लिबास से झलकती नजाकत
खोए रहने को खुद का जग
हर काम में लगन और शिद्दत
शांत शख्सियत है वैसे, पर
दोस्तों संग बहोत चहचहाहट 

और भला क्या क्या बातें दिल में धीमे से घर करती है
जैसे धरती में बारिश की इक-इक बूँद उतरती है
किसी बीज से अंकुर उगने काफी हैं चंद बरसाते भी
वैसे दिल छूती हैं तेरी छोटी छोटी बातें भी 

- अनामिक
(१६/०९/२०१६ - ०१/१०/२०१६)