जो है नजाकत चाँद में, झिलमिल सितारों में कहाँ ?!..
जो जुगनुओं में है चमक, उजले सवेरों में कहाँ ?!..
जो बासुरी में है मिठास, झन झन गिटारों में कहाँ ?!..
जो बात खामोशी जताए, सौ जवाबों में कहाँ ?!..
जो राज पलखों में छुपे, परदों-नकाबों में कहाँ ?!..
जो आँच आंगन के दिये में है, शरारों में कहाँ ?!..
जो है अदब बहती नदी में, आबशारों में कहाँ ?!..
जो रंग हैं नन्ही तितलियों में, इंद्रधनुषों में कहाँ ?!..
जो सादगी में नूर है, सोला सिंगारों में कहाँ ?!..
- अनामिक
(०७-१८/११/२०२१, १०/०३/२०२२)