04 जनवरी 2019

आगे चला

वो जंग लगी सब बेडियाँ
मैं तोडकर आगे चला
बेदर्द फर्जी दोस्तियाँ
मैं छोडकर आगे चला

सब मतलबी चेहरों से मैं
मुह मोडकर आगे चला
नकली, फरेबी सब मुखौटें
फाडकर आगे चला

अंधा भरोसा आँख से
मैं झाडकर आगे चला
खोखले भरम के बुलबुलें
मैं फोडकर आगे चला

बेजान रिश्तों के सडे शव
गाडकर आगे चला
मक्कार धोखेबाज जग से
दौडकर आगे चला

- अनामिक
(०१/०५/२०१८ - ०४/०१/२०१९)