अल्लड, अवखळ अन् उत्श्रृंखल
निखळ, खोडकर, नटखट, चंचल
दिलखुलास, लहरी, स्वानंदी
बेधुंद, बेफिकिर, स्वच्छंदी
निडर, धीट, बिनधास्त, बेधडक
कधी विचारी, हळवी, भावुक
गोजिरवाणी, गोड, लाजरी
अन् लडिवाळ, लाघवी, हसरी
नाजुक, मोहक, मखमल, कोमल
दीप्त, प्रखर, तेजस्वी, उज्ज्वल
चैतन्याचा, उत्साहाचा
अन् ऊर्जेचा अखंड श्रावण
अनंत छटा व्यक्तिमत्वाच्या
असंख्य पैलू अस्तित्वाचे
पुरे न पडती विशेषणांचे रंग
तिचे करताना चित्रण
- अनामिक
(२४-३१/०१/२०१९, १०/०२/२०१९)
10 फ़रवरी 2019
09 फ़रवरी 2019
मिठास
शक्कर के दानों सी तेरी छोटीसी, पर मीठी बातें
नाजुक होंठों पर मिश्री की डलियों जैसी मुस्कुराहटें
लब्जों से चाशनी छलकती, नजरों में शरबत की नदिया
गुलाबजामुन से गालों पर शहद सी शर्म-हया की छींटें
इतनी ज्यादा मिठास तेरी
जितनी भी पीकर जी भरकर भर लू इन नैनों के प्यालें
इस दिल को ना मिले राहतें
जितनी कर लू बातें तुझसे
जितनी जी लू सोहबत तेरी
जितनी पी लू खूबसूरती
और बढे ये अजब प्यास है
मिठास ही ये मर्ज है दिल का
इलाज भी ये मिठास है
- अनामिक
(१७,१८/०१/२०१९, ०९/०२/२०१९)
नाजुक होंठों पर मिश्री की डलियों जैसी मुस्कुराहटें
लब्जों से चाशनी छलकती, नजरों में शरबत की नदिया
गुलाबजामुन से गालों पर शहद सी शर्म-हया की छींटें
इतनी ज्यादा मिठास तेरी
जितनी भी पीकर जी भरकर भर लू इन नैनों के प्यालें
इस दिल को ना मिले राहतें
जितनी कर लू बातें तुझसे
जितनी जी लू सोहबत तेरी
जितनी पी लू खूबसूरती
और बढे ये अजब प्यास है
मिठास ही ये मर्ज है दिल का
इलाज भी ये मिठास है
- अनामिक
(१७,१८/०१/२०१९, ०९/०२/२०१९)
06 फ़रवरी 2019
चाबी
मैं लाख लगा लू पेहरें दिल पे, तालें डालू जुबान पे
मैं जजबातों के तीर रोक लू इन पलखों की कमान पे
पर..
तेरे कदमों की आहट मैं
तेरी नजरों की हरकत में
तेरी हसीं मुस्कुराहट में वो जादूई खूबी है
और तेरे पास वो दो बातों की मिठास की चाबी है,
जिससे..
हर इक ताला खुल जाए
और हर इक पेहरा ढल जाए
हर पत्थर सख्त पिघल जाए
संभले जजबात फिसल जाए
मैं मुश्किल से परहेज करू तुझसे, पर तू आसानी से..
सब व्रत मेरे तुडवाती है तू अपनी इक शैतानी से
- अनामिक
(२७/११/२०१८, ०६/०२/२०१९)
मैं जजबातों के तीर रोक लू इन पलखों की कमान पे
पर..
तेरे कदमों की आहट मैं
तेरी नजरों की हरकत में
तेरी हसीं मुस्कुराहट में वो जादूई खूबी है
और तेरे पास वो दो बातों की मिठास की चाबी है,
जिससे..
हर इक ताला खुल जाए
और हर इक पेहरा ढल जाए
हर पत्थर सख्त पिघल जाए
संभले जजबात फिसल जाए
मैं मुश्किल से परहेज करू तुझसे, पर तू आसानी से..
सब व्रत मेरे तुडवाती है तू अपनी इक शैतानी से
- अनामिक
(२७/११/२०१८, ०६/०२/२०१९)
04 फ़रवरी 2019
सदाफुली
फुलपाखरासारखी चंचल
झुळझुळ झऱ्यासारखी अवखळ
इवल्या मुलासारखी अल्लड
अन् कारंज्यागत उत्श्रृंखल
श्रावण-सरींसारखी लहरी
हवेसारखी निखळ, खेळकर
नदीसारखी स्वच्छंदी, अन्
लाटांगत बेधुंद, बेफिकिर
चिऊसारखी अथक बोलकी
मधासारखी गोड, लाजरी
सदाफुलीसारखी सदैव
टवटवीत, स्वानंदी, हसरी
गुलाबासारखी मनमोहक
मोरपिसागत मखमल, कोमल
विजेसारखी प्रखर, तळपती
अन् तारकांसारखी तेजल
चैतन्याचा पाउस रिमझिम
प्रसन्नतेचा पूर निरंतर
उत्साहाची उदंड भरती
अमर्याद ऊर्जेचा सागर
किती रंग उपमांचे भरले
अपूर्ण तरिही वाटे चित्रण
शक्य नसे शब्दांनी करणे
तिच्या व्यक्तिमत्वाचे वर्णन
- अनामिक
(२४/०१/२०१९ - ०४/०२/२०१९)
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