मैं सागर की गहराई हूँ
मैं अंबर की ऊँचाई भी
मैं किरणों की अपार ऊर्जा
मैं सूरज की परछाई
मैं संध्या की मोहकता भी
मैं साहिल की विनम्रता भी
मैं लहरों की चंचलता भी
मैं बिजली की शहनाई
मैं धरती की विशालता भी
मैं पानी की शीतलता भी
मैं बादल की नरमाई भी
मैं पत्थर की कठिनाई
मेरे कदम रोककर दिखाओ
या हौसला तोडकर दिखाओ
नन्ही समझ न धोखा खाओ
मैं सूरज की परछाई
- अनामिक
(२६,२८/०८/२०१९)
28 अगस्त 2019
24 अगस्त 2019
हवा के सर्द झोंके सी
हवा के सर्द झोंके सी तू लहराती चली आए
बहे दिल जर्द पत्ते सा, गगन में सुर्ख ख्वाबों के
घडीभर ही सही, छूकर तू इठराती चली जाए
उडे दिल शोख तितली सा, बगीचों में गुलाबों के || मुखडा ||
अचानक ही तू आते ही
शहद सी मुस्कुराते ही
लगे यूँ, धूप में जलती गिरे बौछार सावन की
जरा खट्टी, जरा मीठी
भले दो-चार बातें ही
लगे यूँ, बिखर जाए खुशबुएँ हर ओर चंदन की
बहकने फिर लगे दिल बिन पिए ही, बिन शराबों के
उडे दिल शोख तितली सा, बगीचों में गुलाबों के || अंतरा-१ ||
तू पतझड में बहारों सी
अमावस में सितारों सी
की रेगिस्तान में आए तू लेकर बाढ नदियों की
बहोत कुछ बात हो ना हो
उमरभर साथ हो ना हो
लगे यूँ, जिंदगी जी ली घडीभर में ही सदियों की
न फिर कुछ मायने रहते सवालों के, जवाबों के
उडे दिल शोख तितली सा, बगीचों में गुलाबों के || अंतरा-२ ||
- अनामिक
(२०/०५/२०१९ - २४/०८/२०१९)
04 अगस्त 2019
चलता रहे यूँ ही सफर
जो साथ तेरे है शुरू
दो-चार लम्हों का सफर
ना खत्म हो, चलता रहे यूँ उम्रभर
जो बात तुझसे है छिडी
दो लब्ज, या इक दासताँ
वो गीत सी घुलती रहे शामो-सहर || मुखडा ||
तू बिन कहे भी मैं सुनू
खामोशियों की भी जुबाँ
तेरी उदासी, या खुशी
बेचैनियाँ, या ख्वाइशें
जिनसे खिले गुमसुम लबों पे
मुस्कुराहट की कली
ना इल्म भी जिनका तुझे
मैं सब करू वो कोशिशें
तेरे नयन के ख्वाबों में
मैं हौसलों के रंग भरू
मंजिल चुने तू, और बनू मैं रहगुजर
ना खत्म हो, चलता रहे यूँ ही सफर || अंतरा ||
- अनामिक
(०४/०८/२०१९)
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