28 अगस्त 2019

मैं सूरज की परछाई

मैं सागर की गहराई हूँ
मैं अंबर की ऊँचाई भी
मैं किरणों की अपार ऊर्जा
मैं सूरज की परछाई

मैं संध्या की मोहकता भी
मैं साहिल की विनम्रता भी
मैं लहरों की चंचलता भी
मैं बिजली की शहनाई

मैं धरती की विशालता भी
मैं पानी की शीतलता भी
मैं बादल की नरमाई भी
मैं पत्थर की कठिनाई

मेरे कदम रोककर दिखाओ
या हौसला तोडकर दिखाओ
नन्ही समझ न धोखा खाओ
मैं सूरज की परछाई

- अनामिक
(२६,२८/०८/२०१९)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें