24 मई 2022

है याद वो दिन आज भी

है याद वो दिन आज भी.. है आज तक जिसका असर 
पहली दफा टकराई थी इक-दूसरे से जब नजर 
जब हम अचानक आ गए थे रूबरू इक मोड पर 
कालीन जैसी बन गयी थी रोज की ही वो डगर 

इक-दूसरे को हम भले पहचानते भी थे नही 
फिर भी लगा था, दर्मियाँ है कुछ पुराना राबता 
जेसे निगाहों में लिखी थी अनकही इक दासताँ 

मुस्कान भीनी थी खिली शायद हमारे होंठो पर 
मन भी किया था बोलने का, लब्ज ना निकले मगर 
इक-दूसरे को उस समय पहचानते जो थे नही 

बस दो पलों का मेल था.. संजोग का सब खेल था 
उन दो पलों ने दो दिलों पर कर दिया गहरा असर 
भरकर जहन में वो घडी हम चल दिए अपनी डगर 

है याद वो दिन आज भी.. मुद्दतों के बाद भी.. 

- अनामिक 
(१२-२४/०५/२०२२)