31 जुलाई 2021

हम मिले तुम मिले

इक मुलाकात थी     चाँद-तारों तले
खुल गयी बंदिशें      मिट गए फासलें
हम मिले तुम मिले

चाँदनी की लहर यूँ भिगाकर गयी
धुल गये दर्मियाँ थे जो शिकवें-गिलें
हम मिले तुम मिले   || मुखडा ||

रूबरू हम हुए       जैसे सागर-नदी
आइने में दिखी       जैसे खुद की छवी

मिल गए हाथ यूँ      जिंदगी की कडी
धडकनों की लडी    दिल से दिल तक जुडी

जब नजर से नजर की हुई गुफ्तगू
मन के आँगन छनकने लगी पायलें
हम मिले तुम मिले || अंतरा-१ ||

लब्ज खामोश थे      गा रहे थे नयन
प्रीत की धुन पे हम-तुम हुए थे मगन

छू गये रूह को      सुर हुए यूँ बुलंद
हो रहा हो जमीं-आसमाँ का मिलन

रात की ओंस में घुल गयी साँस यूँ
जुगनुओं के नगर ख्वाब उडने चले
हम मिले तुम मिले || अंतरा-२ ||

- कल्पेश पाटील
(०८/०५/२०२१ - ३१/०७/२०२१)

24 जुलाई 2021

फिर से

फिर से खुलेगा आसमाँ 
आजाद होगी इक सहर 
फिर से अंधेरी रात ओढेगी उजाले की चुनर 
फिर से उडेंगे ख्वाइशों की तितलियों के काफिलें 
फिर से चलेंगे हर दिशा में रोशनी के सिलसिलें 
फिर से खुलेगा आसमाँ..           || मुखडा || 

फिर से फिजा में गूँजेगी अल्हड पवन की बासुरी 
फिर से सजेंगी डालियों पर कोयलों की महफिलें 
फिर से गुलों पर रंगों से मौसम लिखेगा शायरी 
फिर से बगीचों में खुलेंगी इत्तरों की बोतलें 
फिर से खुलेगा आसमाँ..         || अंतरा-१ || 

छनछन बजेंगी वादियों में बारिशों की पायलें 
मासूम चिडियों की चहक से खिल उठेंगे घोंसलें 
गुमसुम मुकद्दर पर चलेगी वक्त की जादूगरी 
होंगी मुकम्मल राह भटकी जिंदगी को मंजिलें 
फिर से खुलेगा आसमाँ..         || अंतरा-२ || 

- अनामिक 
(२४/११/२०२० - २४/०७/२०२१)