इक मुलाकात थी चाँद-तारों तले
खुल गयी बंदिशें मिट गए फासलें
हम मिले तुम मिले
चाँदनी की लहर यूँ भिगाकर गयी
धुल गये दर्मियाँ थे जो शिकवें-गिलें
हम मिले तुम मिले || मुखडा ||
रूबरू हम हुए जैसे सागर-नदी
आइने में दिखी जैसे खुद की छवी
मिल गए हाथ यूँ जिंदगी की कडी
धडकनों की लडी दिल से दिल तक जुडी
जब नजर से नजर की हुई गुफ्तगू
मन के आँगन छनकने लगी पायलें
हम मिले तुम मिले || अंतरा-१ ||
लब्ज खामोश थे गा रहे थे नयन
प्रीत की धुन पे हम-तुम हुए थे मगन
छू गये रूह को सुर हुए यूँ बुलंद
हो रहा हो जमीं-आसमाँ का मिलन
रात की ओंस में घुल गयी साँस यूँ
जुगनुओं के नगर ख्वाब उडने चले
हम मिले तुम मिले || अंतरा-२ ||
- कल्पेश पाटील
(०८/०५/२०२१ - ३१/०७/२०२१)
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