24 जुलाई 2021

फिर से

फिर से खुलेगा आसमाँ 
आजाद होगी इक सहर 
फिर से अंधेरी रात ओढेगी उजाले की चुनर 
फिर से उडेंगे ख्वाइशों की तितलियों के काफिलें 
फिर से चलेंगे हर दिशा में रोशनी के सिलसिलें 
फिर से खुलेगा आसमाँ..           || मुखडा || 

फिर से फिजा में गूँजेगी अल्हड पवन की बासुरी 
फिर से सजेंगी डालियों पर कोयलों की महफिलें 
फिर से गुलों पर रंगों से मौसम लिखेगा शायरी 
फिर से बगीचों में खुलेंगी इत्तरों की बोतलें 
फिर से खुलेगा आसमाँ..         || अंतरा-१ || 

छनछन बजेंगी वादियों में बारिशों की पायलें 
मासूम चिडियों की चहक से खिल उठेंगे घोंसलें 
गुमसुम मुकद्दर पर चलेगी वक्त की जादूगरी 
होंगी मुकम्मल राह भटकी जिंदगी को मंजिलें 
फिर से खुलेगा आसमाँ..         || अंतरा-२ || 

- अनामिक 
(२४/११/२०२० - २४/०७/२०२१)

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