23 जुलाई 2020

ये नैना

ये आसमान, या दर्या है ?
मीठे पानी की झीलें हैं ?
या टिमटिम करते हीरें हैं ?
ये नैना कितने नीले हैं

                                ये तारों से चमकीले हैं
                                ये छुइमुइ से शर्मीले हैं
                                ये नटखट छैल-छबीले हैं
                                ये नैना कितने नीले हैं 
                                || मुखडा ||

ये अंतरिक्ष की गहराई
ये छुपाए रखे राज कई
ये वास्तव, या आभास कोई ?
ये देन खुदा की खास कोई

                                ये अजब जाम हैं शरबत के
                                पीकर भी बुझती प्यास नही
                                ये लब्जों बिन ही गजल सुना दे
                                बन्सी से भी सुरीले हैं
                                ये नैना कितने नीले हैं 
                                || अंतरा-१ ||

बिन बाणों के ये वार करे
दिल कितनों के बेजार करे
ये नजरों के कजरे से ही
अंजाने कई शिकार करे

                                जो कत्ल हुए इनसे, उनको भी
                                ये अमृत के प्यालें हैं
                                जो डूब गए इनमें, उनकी तो
                                रातों में भी उजालें हैं
                                ये नैना कितने नीले हैं 
                                || अंतरा-२ ||

- अनामिक
(०९/०६/२०२०, २३/०७/२०२०)

25 अप्रैल 2020

कह दे ना

कह दे ना.. कह दे ना..
दिल में ना रहने दे
अधरों से लब्जों की
लडियाँ अब बहने दे

गुमसुम तू, गुपचुप मैं
खामोश है ये घडियाँ
जजबातों की ठहरी
बहने दे अब नदियाँ

कह दे ना.. कह दे ना..
दिल में जो है, कह दे..    || मुखडा ||

तरसा हूँ अल्हड से सुर तेरे सुनने
पलखों पे झलके हैं तेरे ही सपनें 

अखियन के आँगन में आए ना निंदिया
पल पल भी लगता है तुझ बिन यूँ सदियाँ

जलता मन, सावन की
बसरा भी दे झडियाँ
जजबातों की ठहरी
बहने भी दे नदियाँ

कह दे ना.. कह दे ना..
दिल में ना रहने दे
कह दे ना.. कह दे ना..
दिल में जो है, कह दे..     || अंतरा ||

- कल्पेश पाटील
(१०-२५/०४/२०२०)

14 जनवरी 2020

तू जो मिला

ठहरा हुआ था बेसबब
मंजिल बिना मेरा सफर
तू जो मिला संजोग से
वीरान तनहा राह पर
                                चलने लगे फिर सिलसिलें
                                मिलने लगी गलियाँ नयी
                                खिलने लगी कलियाँ गुलाबी
                                जिंदगी की डाल पर
रूठी हुई तकदीर को
रब का इशारा मिल गया
तू जो मिला, यूँ चाँद को
झिलमिल सितारा मिल गया
                                सोचा न था, बन जाएगा
                                तू ही जरूरी इस कदर
                                तेरे सिवा दूजा न अब
                                दिल को गवारा हमसफर    || मुखडा ||

सहमे हुए थे सुर सभी
तुझ संग तराने बन गए
बेनूर थे मंजर सभी
दिलकश नजारे खिल गए
                                पतझड भरे गलियारों को
                                रिमझिम फुहारें मिल गयी
                                बरसों बिछे अंधियारों में
                                सूरज हजारों खिल गए
ये जिंदगी थी बेदिशा
मक्सद दुबारा मिल गया
तू जो मिला, गुमराह कश्ती को
किनारा मिल गया                                            || अंतरा ||

- अनामिक
(१३/१२/२०१९ - १४/०१/२०२०)

05 जनवरी 2020

ना ही झुकेगा फैसला

ना ही झुकेगा फैसला
ना ही थकेगा हौसला
ना ही रुकेगा ख्वाइशों के पंछियों का काफिला

ना दुश्मनों की है फिकर
ना साजिशों का है असर
भयभीत होकर छल-कपट से ना खतम होगा सफर

हो राह शोलों से भरी
ना लडखडाएंगे कदम
पुख्ता इरादें हो अगर
क्या ही डराएंगे जखम

मैं आँधियों से हार जानेवालों में से हूँ नही
मैं जलजलों से मात खानेवालों में से हूँ नही

- अनामिक
(२८/१२/२०१९, ०५/०१/२०२०)

इक अजब सी बेकरारी

इक अजब सी बेकरारी.. इक अजब सी है चुभन
क्या पता, क्या खल रहा ? है खामखा बेचैन मन

जैसे हवा में घुल गया हो साँस में चुभता धुआ
जैसे गगन में बादलों ने सूर्य पे कब्जा किया

जैसे समंदर ने दबाई हो लहरों की आँधियाँ
जैसे क्षितिज पे चीखती हो सांज की खामोशियाँ

जैसे लबों में घुट रहा हो राज कोई अनकहा
जैसे भटकता ख्वाब नैनों में दफन है हो रहा

जैसे कलम में सूख गयी हो इक अधूरी दासताँ
जैसे दुआएँ खो गयी हो मंदिरों का रासता

है इक अजब सी बेकरारी..

- अनामिक
(२२/०५/२०१९, ०५/०१/२०२०)