ठहरा हुआ था बेसबब
मंजिल बिना मेरा सफर
तू जो मिला संजोग से
वीरान तनहा राह पर
चलने लगे फिर सिलसिलें
मिलने लगी गलियाँ नयी
खिलने लगी कलियाँ गुलाबी
जिंदगी की डाल पर
रूठी हुई तकदीर को
रब का इशारा मिल गया
तू जो मिला, यूँ चाँद को
झिलमिल सितारा मिल गया
सोचा न था, बन जाएगा
तू ही जरूरी इस कदर
तेरे सिवा दूजा न अब
दिल को गवारा हमसफर || मुखडा ||
सहमे हुए थे सुर सभी
तुझ संग तराने बन गए
बेनूर थे मंजर सभी
दिलकश नजारे खिल गए
पतझड भरे गलियारों को
रिमझिम फुहारें मिल गयी
बरसों बिछे अंधियारों में
सूरज हजारों खिल गए
ये जिंदगी थी बेदिशा
मक्सद दुबारा मिल गया
तू जो मिला, गुमराह कश्ती को
किनारा मिल गया || अंतरा ||
- अनामिक
(१३/१२/२०१९ - १४/०१/२०२०)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें