24 अगस्त 2019

हवा के सर्द झोंके सी

हवा के सर्द झोंके सी तू लहराती चली आए 
बहे दिल जर्द पत्ते सा, गगन में सुर्ख ख्वाबों के 

घडीभर ही सही, छूकर तू इठराती चली जाए 
उडे दिल शोख तितली सा, बगीचों में गुलाबों के      || मुखडा || 

अचानक ही तू आते ही 
शहद सी मुस्कुराते ही 
लगे यूँ, धूप में जलती गिरे बौछार सावन की 
जरा खट्टी, जरा मीठी 
भले दो-चार बातें ही 
लगे यूँ, बिखर जाए खुशबुएँ हर ओर चंदन की 

बहकने फिर लगे दिल बिन पिए ही, बिन शराबों के 
उडे दिल शोख तितली सा, बगीचों में गुलाबों के      || अंतरा-१ || 

तू पतझड में बहारों सी 
अमावस में सितारों सी 
की रेगिस्तान में आए तू लेकर बाढ नदियों की 
बहोत कुछ बात हो ना हो 
उमरभर साथ हो ना हो 
लगे यूँ, जिंदगी जी ली घडीभर में ही सदियों की 

न फिर कुछ मायने रहते सवालों के, जवाबों के 
उडे दिल शोख तितली सा, बगीचों में गुलाबों के      || अंतरा-२ || 

- अनामिक 
(२०/०५/२०१९ - २४/०८/२०१९) 

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