06 फ़रवरी 2019

चाबी

मैं लाख लगा लू पेहरें दिल पे, तालें डालू जुबान पे
मैं जजबातों के तीर रोक लू इन पलखों की कमान पे

पर..
तेरे कदमों की आहट मैं
तेरी नजरों की हरकत में
तेरी हसीं मुस्कुराहट में वो जादूई खूबी है
और तेरे पास वो दो बातों की मि​​ठास की चाबी है,

जिससे..
हर इक ताला खुल जाए
और हर इक पेहरा ढल जाए
हर पत्थर सख्त पिघल जाए
संभले जजबात फिसल जाए

मैं मुश्किल से परहेज करू तुझसे, पर तू आसानी से..
सब व्रत मेरे तुडवाती है तू अपनी इक शैतानी से

- अनामिक
(२७/११/२०१८, ​०६/०२/२०१९)

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