गर दर्द छलका है नयन से टीस गहरी है कही
"बस यूँ ही" कहकर टाल दे तू, ना बता, क्या है कमी
पर देखकर रिमझिम नयन मेरी फिकर है लाजमी
ये बेसमय के अश्क तेरे || मुखडा ||
गुमसुम रहे, कुछ ना कहे बेचैन या तनहा रहे
पढकर नजर पहचान लू तू जो चुभन भीतर सहे
मन में उठे क्या पीड़ मेरे कर न पाऊ मैं बयाँ
जब अश्क की इक बूँद भी तेरी निगाहों से बहे
इन मोतियों के मोल का कुछ इल्म ही तुझको नही
ज़ाया न हो ये, इस लिए कर दू न्योछावर जर-जमीं
ये बेसमय के अश्क तेरे || अंतरा-१ ||
ये दो नयन, हैं दो सितारें पहचान इनकी रोशनी
तू ढूँढ ले खुदकी सहर अंधियारा हो, या चाँदनी
ये ही दुआ मांगू खुदा से खुश रहे तू हर घडी
खिलती रहे मुस्कान की तेरे लबों पे पंखुडी
तू जिस डगर रख दे कदम हो जीत ही आगे खडी
तू हौसलों की डोर से सौ ख्वाब बुन ले रेशमी
ये बेसमय के अश्क तेरे || अंतरा-२ ||
- कल्पेश पाटील
(०१/०५/१९ - १०/०३/२२)
जब अश्क की इक बूँद भी तेरी निगाहों से बहे
इन मोतियों के मोल का कुछ इल्म ही तुझको नही
ज़ाया न हो ये, इस लिए कर दू न्योछावर जर-जमीं
ये बेसमय के अश्क तेरे || अंतरा-१ ||
ये दो नयन, हैं दो सितारें पहचान इनकी रोशनी
तू ढूँढ ले खुदकी सहर अंधियारा हो, या चाँदनी
ये ही दुआ मांगू खुदा से खुश रहे तू हर घडी
खिलती रहे मुस्कान की तेरे लबों पे पंखुडी
तू जिस डगर रख दे कदम हो जीत ही आगे खडी
तू हौसलों की डोर से सौ ख्वाब बुन ले रेशमी
ये बेसमय के अश्क तेरे || अंतरा-२ ||
- कल्पेश पाटील
(०१/०५/१९ - १०/०३/२२)
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