27 जनवरी 2015

हम आस लगाए बैठे हैं

हम आस लगाए बैठे हैं
आए वो झिलमिल रात कभी
ख्वाबों से तू उतरेगी, और
कह देगी दिल की बात कभी
हम प्यास जगाए बैठे हैं
होगी रिमझिम बरसात कभी
तेरे नैनों के प्यालों से
छलकेंगे वो जज़बात कभी ॥ धृ ॥

तेरी ही याद लपेटे..  हर एक सांझ है ढलती..
तेरे ही नाम से निकले दिन
तेरी ही ओर लिए अब..  हर एक राह है चलती..
मंजिल ना दूजी है तुझ बिन

अब नींद बनी तेरी जोगिन
मैं जागू तेरे सपनें गिन
जो बुने फसाना मेरा दिल
कर दे उसकी शुरुवात कभी
हम आस लगाए बैठे हैं
आए वो झिलमिल रात कभी ॥ १ ॥

तेरी इक झलक के खातिर..  नजरें करती हैं कसरत..
तेरी मुस्कान से मचले दिल
हसकर शरमाए तू जब..  उतरे धरती पर जन्नत..
साँसों की बढती है मुश्किल

तू मुड कर देखे एक नजर
तो दिल के सागर उठे लहर
है यही दुआ, तेरे इकरार कि
मिल जाए सौगात कभी
हम आस लगाए बैठे हैं
आए वो झिलमिल रात कभी ॥ २ ॥

- अनामिक
(२३/११/२०१४ - २७/०१/२०१५)

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