15 फ़रवरी 2015

नाँव

धूप में, या छाँव में
बहाव में, ठहराव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में
प्रीत की नदिया बहे
दो दिलों के गाँव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में ॥ धृ ॥

फूल हो, अंगार हो
मंजिलें दुश्वार हो
हर कदम मिलकर चले तो, जलजलें भी पार हो
काँटें भी तुझ संग लगे
गुदगुदी से पाँव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में ॥ १ ॥

रोक ले ऊँची लहर
या उठे चाहे भँवर
हाथ बस तुम थाम लो, फिर तय करे मुश्किल सफर
तुम बनो मरहम मेरा
दर्द में, हर घाँव में
हमसफर बन संग निभाना, जिंदगी की नाँव में ॥ २ ॥

- अनामिक
(०८/०९/२०१४ - १४/०२/२०१५)


 

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