हर खुशियों में रंग भरे जो
फूल खिले वो तेरे आँगन
हर सुबहा लाए वो सूरज
सब सपने कर दे जो रोशन
सदा सजे मुस्कान लबों पर
जिसे देख शरमाए दर्पन
गूँजे अल्लड हँसी यूँ, किसी
नन्ही की पायल की छनछन
मिले जीत हर जंग में तुझे
हर बादल बरसाए सावन
खुशबू तेरी तारीफों की
महके, जैसे बन में चंदन
ऊँची भरो उडान गगन में
रोक न पाए कोई बंधन
रहो जहा भी, सदा खुश रहो
यही दुआ माँगे मेरा मन
- अनामिक
(२०/१२/२००८, १३/०१/२०१५, १६/०२/२०१५)
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