सागर-लहर की करवटें
हैं बिजलियों की आहटें
ये तेरी लहराती लटें
ये मौसमों की साजिशें
ये मोतियों की बारिशें
भीगा जहाँ, हम दो यहा
क्या और हो फर्माइशें ?
ये मोतियों की बारिशें
भीगा जहाँ, हम दो यहा
क्या और हो फर्माइशें ?
इन उंगलियों को छेडता
ये हाथ तेरा रेशमी
जैसे क्षितिज पे मिल रही
बेताब अंबर से जमीं
ये हाथ तेरा रेशमी
जैसे क्षितिज पे मिल रही
बेताब अंबर से जमीं
कितना नशा इस रैन में
और जाम तेरे नैन में
प्याला जिगर का भर लिया
फिर भी बडा बेचैन मैं
और जाम तेरे नैन में
प्याला जिगर का भर लिया
फिर भी बडा बेचैन मैं
तेरी मोहब्बत की झडी
यूँ ही बरसती जो रही
मेरे संभलने की भला
फिर कोई गुंजाइश नही
यूँ ही बरसती जो रही
मेरे संभलने की भला
फिर कोई गुंजाइश नही
- अनामिक
(१५/०७/२०१७)
(१५/०७/२०१७)
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