"लाए हो जिनके लिए, उन्हे कब देने का खयाल है ?
दराज में ही रखना था, तो इतनी याद से लाए ही क्यों ?
उनके पास पहुँचने अब बेसब्री से बुरा हाल है"
मैंने बोला, "तू तो क्या, मैं चाँद तोडकर भी ला दू
पर एक चाँद को चाँद दूसरा देने में क्या कमाल है ?
सब्र रख, तुझे सही वक्त पे नजराने सा पेश करू
उनको भी तो लगे, की देनेवाला भी बेमिसाल है"
- अनामिक
(०८,२१,२२/१२/२०१६)
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