जाने आज हुआ है अंबर इतना क्यों बोझल
घिर आए हैं गर्मी में भी बरखा के बादल
धीमे स्वर में खनक रही है बिजली की पायल
बूँदें हैं बेताब भिगाने धरती का आँचल
घिर आए हैं गर्मी में भी बरखा के बादल
धीमे स्वर में खनक रही है बिजली की पायल
बूँदें हैं बेताब भिगाने धरती का आँचल
इनको भी महसूस हो गयी मेरे दिल की प्यास
इसी लिए ये बेमौसम आए हैं मिलने खास
पर जिसके इंतजार में उलझी है मेरी साँस
उसको कब होगा मेरे जज़बातों का एहसास ?
इसी लिए ये बेमौसम आए हैं मिलने खास
पर जिसके इंतजार में उलझी है मेरी साँस
उसको कब होगा मेरे जज़बातों का एहसास ?
ये सब तो जाएंगे बनकर इक दिन के मेहमान
पलखों को तोहफें में देकर अश्कों का तूफान
इन्हें कहूंगा, जरा बरसना उसके भी आँगन
उसको मेरे हिस्से की भी दे आना मुस्कान
पलखों को तोहफें में देकर अश्कों का तूफान
इन्हें कहूंगा, जरा बरसना उसके भी आँगन
उसको मेरे हिस्से की भी दे आना मुस्कान
- अनामिक
(०४-०७/०३/२०१६)
(०४-०७/०३/२०१६)
anayaas hi aapki Blog par aana hua.
जवाब देंहटाएंBahut Sundar lekhan. :)
बहोत बहोत शुक्रिया खेतेश्वर जी :-)
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