11 अगस्त 2014

घोंसला

हमसफर, चल ढूँढने दुनिया, गगन के भी परे
पर लगाकर ख्वाब के उँची उडानें चल भरे
हो सितारों का नगर, संग बादलों का काफिला
चाँद-किरणों से बनाए इक सुनहरा घोंसला ।। धॄ ।।

चार तिनके तुम जुटाओ, चार तिनके मैं चुनू
तुम बटोरो चंद धागे, नर्म चादर मैं बुनू
तुम बनो उम्मीद मेरी, मैं तुम्हारा हौसला ।। १ ।।

हो कभी बारिश घनी, ढक लू तुम्हें पंखों तले
बूँद भी तुम पर गिरे ना, झेल लू खुद जलजले
य़ूँ तुम्हे थामू, रहे ना रूह का भी फासला ।। २ ।।

- अनामिक
(१०/०७/२०१४ - १०/०८/२०१४)

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